Geography

अध्याय 7-परिवहन एवं संचार

अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए –
(i).पारमहाद्वीपीय स्टुवर्ट महामार्ग किन के मध्य से गुजरता है ?
(क) डार्विन और मेलबॉर्न
(ख) एडमंटन और एंकाॅरेज
(ग) बैंकूवर और सेंट जाॅन नगर
(घ) चेगडू और ल्हासा

उत्तर-(क) डार्विन और मेलबॉर्न

(ii).   किस देश में रेल मार्गों के जाल का सघनतम घनत्व पाया जाता है ?
(क) ब्राजील
(ख) कनाडा
(ग) संयुक्त राज्य अमेरिका
(घ) रूस

उत्तर-(ग) संयुक्त राज्य अमेरिका

(iii). बृहद् ट्रंक मार्ग होकर जाता है-
(क) भूमध्य सागर हिंद महासागर से होकर
(ख) उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर
(ग) दक्षिण अटलांटिक महासागर से होकर
(घ) उत्तर प्रशांत महासागर से होकर

उत्तर-(ख) उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर

(iv).  ‘बिग इंच’ पाइप लाइन के द्वारा परिवहित किया जाता है।
(क) दूध
(ख) जल
(ग) तरल पेट्रोलियम गैस(LPG)
(घ) पेट्रोलियम

उत्तर-(घ) पेट्रोलियम

(v).चैनल टनल जोड़ता है-
(क) लंदन- बर्लिन
(ख) बर्लिन- पेरिस
(ग) पेरिस- लंदन
(घ) बार्सिलोना- बर्लिन

उत्तर-(ग) पेरिस- लंदन

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(I) पर्वतों, मरूस्थलों तथा बाढ़ संभावित प्रदेशों में स्थल परिवहन की क्या-क्या समस्याएँ हैं?

उत्तर- पर्वतों, मरूस्थलों तथा बाढ़ संभावित प्रदेशों में स्थल परिवहन की कई समस्याएँ हैं। जैसे-
1) पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क तथा रेलमार्गों का विकास अत्यंत जटिल एवं महंगा पड़ता है तथा वहां भूस्खलन और हिमस्खलन जैसे खतरे निरंतर बने रहते हैं।
2) मरुस्थलीय क्षेत्रों में रेत के अस्थिर टिब्बों के पवनों द्वारा विस्थापन के कारण सड़क तथा रेल मार्गों बनाना कठिन कार्य है तथा उनके अवरुद्ध होने की समस्याएँ मिलती हैं।
3) बाढ़ संभावित प्रदेशों में वर्षा ऋतु के समय जल भराव के कारण स्थल परिवहन बुरी तरह प्रभावित होता है तथा उन क्षेत्रों का देश के अन्य भागों से संपर्क कट जाता है।

(ii) पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग क्या होता है?

उत्तर-पारमहाद्वीपीय  रेल मार्ग पूरे महाद्वीप से गुजरते हुए इसके दोनों छोरों को जोड़ते हैं। इनका निर्माण आर्थिक और राजनीतिक कारणों से विभिन्न दिशाओं में लंबी यात्राओं की सुविधा प्रदान करने के लिए किया गया था। जैसे- पार- साइबेरियन रेलमार्ग।

(iii) जल परिवहन के क्या लाभ हैं?

उत्तर- (1) जल परिवहन जैसे समुद्र तथा महासागरों में मार्गों का निर्माण नहीं करना पड़ता तथा इनके रखरखाव की लागत नहीं होती।
(2) महासागर एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं तथा इनमें विभिन्न प्रकार के जहाज चल सकते हैं।
(3) यह परिवहन बहुत सस्ता पड़ता है क्योंकि जल का घर्षण स्थल की अपेक्षा बहुत कम होता है।
(4) जल परिवहन की ऊर्जा लागत अपेक्षाकृत कम होती है।
(5) एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक भारी पदार्थों का लंबी दूरी तक जल परिवहन अन्य परिवहन के मुकाबला सस्ता पड़ता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) ” एक सुप्रबंधित परिवहन प्रणाली में विभिन्न विधाएँ एक दूसरे की संपूरक होती है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-स्थल परिवहन, जल परिवहन, वायु परिवहन तथा पाइप लाइन परिवहन विश्व परिवहन की प्रमुख विधाएं हैं।इनका प्रयोग अंतर्प्रादेशिक तथा अंतरा- प्रादेशिक परिवहन के लिए किया जाता है। किसी विधा की सार्थकता उसके द्वारा परिवहित की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार, परिवहन की लागतों और उपलब्धता पर निर्भर करती है।
एक सुप्रबंधित परिवहन तंत्र में ये विधाएँ एक दूसरे के पूरक के रूप में होती हैं जैसे-

1) पाइपलाइन को छोड़कर प्रत्येक विधा यात्री और माल परिवहन के लिए प्रयोग होती है। 
2) वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय संचलन का निपटान मालवाहक जलयानों द्वारा किया जाता है। 
3) कम दूरी एवं घर से घर तक सेवाएँ प्रदान करने में सड़क परिवहन सस्ता एवं तीव्रगामी है।
4) किसी देश के भीतर भारी, स्थूल पदार्थों के विशाल परिमाण को लंबी दूरियों तक परिवहन करने के लिए रेल सबसे अनुकूल साधन है।
5) उच्च मूल्य वाली, हल्की तथा नाशवान वस्तुओं का वायुमार्गों द्वारा परिवहन सर्वश्रेष्ठ होता है।
6) तीव्रतम परिवहन हेतु वायु यातायात अच्छी विधि है।
 इस प्रकार हम का सकते हैं कि ” एक सुप्रबंधित परिवहन प्रणाली में विभिन्न विधाएँ एक दूसरे की संपूरक होती है।”

(ii) विश्व के कौन से प्रमुख प्रदेश हैं जहाँ वायु मार्ग का संघन तंत्र पाया जाता है?

उत्तर-वायु परिवहन परिवहन का तीव्रतम साधन है परंतु यह अत्यंत महंगा भी है। तीव्रतम में होने के कारण लंबी दूरी की यात्रा के लिए यात्री इसे प्राथमिकता देते हैं। सुपरसोनिक वायुयान लंदन और न्यूयॉर्क के बीच की दूरी को 3:30 घंटे में तय कर लेता है। इसके द्वारा मूल्यवान वस्तुओं को तेजी से पूरे विश्व में भेजा जा सकता है। कई बार दुर्गम तथा अगम्य क्षेत्र तक पहुंचने का यही एकमात्र साधन होता है। वायु परिवहन का अत्यधिक सामरिक महत्व भी है। विभिन्न प्रकार की आपदाओं के समय भी सहायता तथा बचाव कार्यों के लिए यह अत्यंत उपयोगी होता है।

विश्व में वायु परिवहन का विवरण-

          वायु परिवहन ने संपर्क क्रांति ला दी है। आज विश्व का कोई भी स्थान वायु परिवहन से 35 घंटे से अधिक दूरी पर नहीं है। आज 250 से अधिक वाणिज्यिक एयरलाइंस विश्व के विभिन्न भागों में नियमित सेवाएँ प्रदान कर रही हैं।


 1) विश्व के अनेक भागों में नित्य वायु सेवाएँ उपलब्ध हैं। उत्तरी गोलार्ध में अंतर-महाद्वीपीय वायुमार्गों की एक सुस्पष्ट पूर्व-पश्चिम पट्टी है। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्ध में वायु सेवाओं की उपलब्धता सीमित है।
2)ब्रिटेन का वाणिज्यिक वायु परिवहन का उपयोग अनुकरणीय है।
3) संयुक्त राज्य अमेरिका ने मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन का विकास किया है।  
4) पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और दक्षिणी पूर्वी एशिया में वायुमार्गों का सघन जाल पाया जाता है।
5) विश्व के कुल वायुमार्गों के 60% भाग का प्रयोग अकेला संयुक्त राज्य अमेरिका करता है।
6) न्यूयॉर्क, लंदन, पेरिस, एमस्टर्डम और शिकागो प्रमुख स्थान है जहाँ से वायुमार्ग अभिसरित होते हैं या सभी महाद्वीपों की ओर विकिरित होते हैं।
7) अफ्रीका, रूस के एशियाई भाग और दक्षिण अमेरिका में वायु सेवाओं का अभाव है।

(iii) वे कौन सी विधाएँ हैं जिनके द्वारा साइबर स्पेस मनुष्यों के समकालीन आर्थिक और सामाजिक स्पेस की वृद्धि करेगा?

उत्तर-  साइबर स्पेस विद्युत द्वारा कंप्यूटरीकृत स्पेस का संसार है। यह कंप्यूटर पर सूचनाओं, तथ्यों, आंकड़ों के प्रेषण और प्राप्ति की  डिजिटल दुनिया है। यह वर्ल्ड वाइड वेब साइट से आवृत्त दुनिया है।इसे इंटरनेट के नाम से भी जाना जाता है। उपग्रह संचार की बदौलत आज साइबर स्पेस कहीं भी हो सकता है चाहे वह जल में चलती नौका हो, उड़ते हुए जहाज हो या धरती पर मौजूद कोई कार्यालय हो। 
 जिस तेजी से साइबर स्पेस का दुनिया में विस्तार हुआ है, वह अभूतपूर्व है। करोड़ों लोग प्रतिवर्ष इंटरनेट का प्रयोग करते हैं।

साइबर स्पेस द्वारा आर्थिक और सामाजिक स्पेस में वृद्धि-

यह आधुनिक संचार प्रणालियाँ हैं जिन्होंने वैश्विक ग्राम (Global village) की संकल्पना को साकार किया है।पिछले कुछ वर्षों में विकासशील देशों में भी साइबर स्पेस तथा इंटरनेट का विस्तार हुआ है 2010 में पूरे विश्व में 200 करोड़ इंटरनेट प्रयोक्ता थे। 

1) साइबर स्पेस लोगों के समकालीन आर्थिक और सामाजिक स्पेस को ई-मेल, ई-कॉमर्स, ई- शिक्षा और ई- प्रशासन के माध्यम से विस्तृत कर रहा है।
2) ई-मेल के माध्यम से विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ, तथ्य तथा आँकड़े कुछ ही सैकंड में पूरे विश्व में कहीं भी भेजे तथा प्राप्त किए जा सकते हैं। यह अत्यंत तीव्र प्रेषण की सटीक विधा है।
3) ई-कॉमर्स के बढ़ते वर्चस्व ने घर बैठे ही सामान खरीदने तथा बेचने की सुगम व्यवस्था ला दी है जिसका लाभ काफी लोगों को मिल रहा है।
4) ई- शिक्षा के माध्यम से लाखों विद्यार्थियों तक डिजिटल शिक्षा, प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पहुँच संभव हुई है जिससे न केवल औपचारिक बल्कि अनौपचारिक शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है।
5) ई- प्रशासन के माध्यम से पूरे विश्व में विभिन्न प्रकार के सरकारी तथा गैर सरकारी कार्य सुगम हुए हैं तथा लोग घर बैठे ही इनका लाभ ले रहे हैं। इससे सुशासन तथा भ्रष्टाचार रहित प्रशासन को भी मजबूत बनाने में मदद मिली है।
6) निजी व्यवसाय कंपनियाँ, शैक्षणिक संस्थान तथा सरकार द्वारा इन सूचनाओं तथा उपग्रह चित्रों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। जैसे- नगरीय नियोजन, प्रदूषण नियंत्रण आदि।
   यदि हम वर्तमान स्थिति को देखें तो साइबर स्पेस- इंटरनेट का पूरे विश्व में तेजी से प्रयोग हो रहा है तथा शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें इसकी कोई भूमिका न हो। इसने लोगों के आर्थिक व सामाजिक स्पेस को काफी विस्तृत किया है तथा विभिन्न क्षेत्र में अपनी उपयोगिता साबित की है।

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