अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर
(i). निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है ?
(क) कॉफी
(ख) गन्ना
(ग) गेहूँ
(घ) रबड़
उत्तर- (ग) गेहूँ
(क) रूस
(ख) डेनमार्क
(ग) भारत
(घ) नीदरलैंड
उत्तर-(ख) डेनमार्क
(क) ट्रक फार्मिंग
(ख) कारखाना कृषि
(ग) मिश्रित कृषि
(घ) पुष्पोत्पादन
उत्तर-(घ) पुष्पोत्पादन
(क) कोलखोज़
(ख) अंगूरोत्पादन
(ग) मिश्रित कृषि
(घ) रोपण कृषि
उत्तर-(घ) रोपण कृषि
(क) अमेरिका और कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
(ख) अर्जेंटीना के पंपास क्षेत्र
(ग) यूरोपीय स्टेपीज़ क्षेत्र
(घ) अमेजन बेसिन
उत्तर-(घ) अमेजन बेसिन
(क) बाजारीय सब्जी कृषि
(ख) भूमध्यसागरीय कृषि
(ग) रोपण कृषि
(घ) सहकारी कृषि
उत्तर-(ख) भूमध्यसागरीय कृषि
(क) विस्तृत जीवन निर्वाह कृषि
(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(ग) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(घ) मिश्रित कृषि
उत्तर-(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(क) डेयरी कृषि
(ख) मिश्रित कृषि
(ग) रोपण कृषि
(घ) वाणिज्य अनाज कृषि
उत्तर-(ख) मिश्रित कृषि
(I) स्थानांतरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है। विवेचना कीजिए।
उत्तर-स्थानांतरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है क्योंकि-
(1) यह कृषि वनों को काटकर तथा जलाकर प्राप्त होने पर की जाती है जो पर्यावरण की दृष्टि से वनों के विनाश का कारण बनती है।
(2) इस कृषि में सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस क्षेत्र में भूमि की उर्वरता कम होती चली जाती है।
(3) परंपरागत तरीके से होने वाली इस कृषि में उत्पादकता भी कम होती है।
उत्तर-बाजारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही की जाती है क्योंकि-
(1) शहरों में अधिक आबादी होने के कारण सब्जियों की मांग अधिक होती है।
(2) सब्जियों का अधिक दूरी से परिवहन करने से लागत बढ़ती है तथा यह लाभदायक नहीं रहता।
(3) शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तु होने के कारण अधिक दूरी से लाने पर सब्जियाँ खराब हो सकती हैं जिससे उत्पादक को नुकसान उठाना पड़ता है।
उत्तर- विस्तृत पैमाने पर डेयरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं प्रशीतकों के विकास के बाद ही संभव हो सका है क्योंकि इसमें तैयार उत्पाद शीघ्र खराब होने वाले होते हैं।प्रशीतकों की सुविधा उपलब्ध होने के कारण इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। साथ ही तीव्र परिवहन के साधनों के कारण लंबी दूरी तक उनका परिवहन भी संभव हो पाया है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) चलवासी पशु चारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- चलवासी पशु चारण एक प्राचीन जीवन निर्वाह व्यवसाय रहा है जबकि वाणिज्य पशुधन पालन व्यापार को ध्यान में रखकर किया जाने वाला व्यवसाय है। इन दोनों में प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं-
चलवासी पशु चारण | वाणिज्य पशुधन पालन |
1. इसके अंतर्गत चरवाहे अपने पशुओं को साथ लेकर स्थान दर स्थान घूमते हैं तथा पशु उत्पादों को बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैैं। | 1. चलवासी पशु चारण की अपेक्षा वाणिज्य पशुधन पालन अधिक व्यवस्थित एवं पूँजी प्रधान है जिसमें फार्म भी स्थायी होते हैं। |
2. विश्व के अलग-अलग भागों में अलग-अलग पशुओं को इसके अंतर्गत पाला जाता है। जैसे तिब्बत क्षेत्र में याक, एंडीज क्षेत्र में लामा, आर्कटिक क्षेत्र में रेन्डियर, सहारा मरुस्थल में भेड़, बकरी तथा ऊँट आदि पाले जाते हैं। | 2. इसके अंतर्गत बड़े-बड़े फार्मो पर एक विशिष्ट प्रकार के पशु को ध्यान में रखकर पशुपालन किया जाता है। जैसे भेड़, बकरी, गाय, बैल, घोड़े आदि। इन से प्राप्त विभिन्न उत्पादों को व्यापार की दृष्टि से तैयार किया जाता है। |
3. चलवासी पशु चारण में ऋतु प्रवास की मुख्य भूमिका है क्योंकि मौसम के अनुसार गर्मियों में चरवाहे अपने पशुओं को मैदानों से पर्वतों की ओर तथा सर्दियों में पर्वतों से मैदानी चरागाहों की ओर ऋतुप्रवास करते हैं। | 3. इस पशुपालन में वैज्ञानिक ढंग से कार्य किया जाता है। इसके अंतर्गत पशुओं के प्रजनन, बीमारियों और स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दिया जाता है। |
4. चलवासी पशुचारकों की वर्तमान में संख्या घट रही है क्योंकि राजनीतिक सीमाओं का अधिरोपण होने के कारण कई नए देश अस्तित्व में आ गए हैं। इससे स्वतंत्र रूप से पशुओं के दूर-दूर तक चरने में बाधा उत्पन्न हुई है। इसके अलावा कई देशों द्वारा नई बस्तियों की योजना बनाने के कारण भी इनके चरागाह क्षेत्रों में कमी आई है। | 4. वाणिज्य पशुधन पालन पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित है तथा यह फार्म विशाल क्षेत्रों पर फैले होते हैं। इसे फिर छोटे-छोटे क्षेत्रों में विभाजित कर बारी-बारी से पशु चारण किया जाता है ताकि व्यवस्थित ढंग से पशु पालन सुनिश्चित हो सके। |
5. विश्व में चलवासी पशु चारण के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं। पहला क्षेत्र उत्तर अफ्रीका से अरब प्रायद्वीप होता हुआ मध्य चीन व मंगोलिया तक फैला हुआ है। दूसरा क्षेत्र यूरोप तथा एशिया का टुंड्रा प्रदेश है जबकि तीसरे क्षेत्र में दक्षिण पश्चिमी अफ्रीका एवं मेडागास्कर क्षेत्र शामिल है। | 5. विश्व में न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, उरूग्वे तथा संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों में वाणिज्य पशुधन पालन किया जाता है। |
उत्तर- रोपण कृषि के अंतर्गत बागानी कृषि की जाती है। इस कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होने वाली यह कृषि औपनिवेशीकरण की देन है क्योंकि इन क्षेत्रों के देशों जैसे भारत, श्रीलंका, मलेशिया, पश्चिमी द्वीप समूह, फिलीपींस, इंडोनेशिया आदि में यूरोपीय लोगों द्वारा यह कृषि प्रारंभ की गई।
(2) इस कृषि के अंतर्गत बागानों का आकार काफी बड़ा होता है।
(3) यह एक फसली कृषि है जिसमें चाय,कॉफी, रबड़ जैसी किसी एक फसल के उत्पादन पर ही संकेंद्रण किया जाता है।
(4) इस कृषि में अधिक पूंजी निवेश, उच्च प्रबंधन एवं तकनीक तथा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
(5) सस्ता श्रम तथा विकसित यातायात इस कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
(6) प्रारंभ में यूरोपीय शक्तियों के नियंत्रण में स्थापित रोपण कृषि के अधिकांश बागानों पर वर्तमान में इन पर उन्हीं स्वतंत्र देशों के नागरिकों या सरकारों का स्वामित्व है।
(7) ब्राजील में अभी भी कुछ कॉफी के बागान यूरोप वासियों के नियंत्रण में है जिन्हें फेजेंडा कहा जाता है।
रोपण कृषि की प्रमुख फसलें-
रोपण कृषि के अंतर्गत अलग-अलग यूरोपीय शक्तियों द्वारा अलग-अलग देशों में अलग-अलग फसलों के बागान विकसित किए गए। जैसे-
(1) भारत, श्रीलंका आदि देशों में चाय।
(2) मलेशिया में रबड़।
(3) पश्चिमी द्वीप समूह में गन्ना व केला।
(4) फिलीपींस में नारियल व गन्ना।
(5) इंडोनेशिया में गन्ना।
(6) ब्राजील में कॉफी ।
(7) पश्चिमी अफ्रीका में कोकोआ तथा कॉफी।