Geography

अध्याय 3- मानव विकास

अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए –
 निम्नलिखित में से कौन-सा विकास का सर्वोत्तम वर्णन करता है?
(क) आकार में वृद्धि
(ख) गुण में धनात्मक परिवर्तन
(ग) आकार में स्थिरता
(घ) गुण में साधारण परिवर्तन

उत्तर- (ख) गुण में धनात्मक परिवर्तन

(ii). मानव विकास की अवधारणा निम्नलिखित में से किस विद्वान की देन है ?
(क) प्रो॰ अमर्त्य सेन
(ख) डॉ॰ महबूब-उल- हक
(ग) एलन सी॰ सेम्पुल
(घ) रैटजेल


उत्तर-(ख) डॉ॰ महबूब-उल- हक

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(I) मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र कौन- से हैं?

उत्तर- दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन जीना, ज्ञान प्राप्त कर पाना तथा एक शिष्ट जीवन जीने के पर्याप्त साधनों का होना मानव विकास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है। अतः मानव विकास के 3 मूलभूत क्षेत्र हैं-
 1)स्वास्थ्य(दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन)
 2) शिक्षा(ज्ञान प्राप्त करना)
 3) संसाधनों तक पहुँच(क्रय शक्ति)

(ii) मानव विकास के चार प्रमुख घटकों के नाम लिखिए।

उत्तर-मानव विकास के चार प्रमुख घटक हैं-
(1)समता (2)सतत पोषणीयता (3)उत्पादकता और(4) सशक्तिकरण।
इन्हें मानव विकास के चार स्तंभ भी कहा जाता है क्योंकि जिस प्रकार किसी इमारत को स्तंभों का सहारा होता है, उसी प्रकार यह चारों मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

(iii) मानव विकास सूचकांक के आधार पर देशों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है ?



उत्तर- (1) मानव विकास सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुंच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निष्पादन के आधार पर देशों का क्रम तैयार करता है जो 0 से 1 के बीच स्कोर पर आधारित होता है। 
   (2) इन तीनों आयामों को क्रमशः जीवन प्रत्याशा, प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात तथा अमेरिकन डॉलर में क्रय शक्ति के रूप में मापा जाता है।
 (3)प्रत्येक आयाम को 1/3 भारिता दी जाती है।

 इस प्रकार प्राप्त मानव विकास स्कोर के आधार पर देशों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जाता है-

मानव विकास का स्तर- मानव विकास सूचकांक का स्कोर – देशों की संख्या (2020)
1) अति उच्च – 0.800 से ऊपर – 66
2) उच्च – 0.700 से 0.799 के बीच – 53
3) मध्यम – 0.550 से 0.699 के बीच – 37
4) निम्न – 0.549 से नीचे – 33


3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) मानव विकास शब्द से आपका क्या अभिप्राय है?

उत्तर- मानव विकास एक व्यापक अवधारणा है जिस का प्रतिपादन सबसे पहले डॉ॰ महबूब- उल-हक के द्वारा किया गया था।मानव विकास अवधारणा में महबूब- उल-हक के अलावा प्रो॰ अमर्त्य सेन का भी उल्लेखनीय कार्य रहा है। सबसे पहले डॉ॰ महबूब- उल-हक ने 1990 ई॰ में मानव विकास सूचकांक निर्मित किया।1990 से संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने वार्षिक मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए इसी मानव विकास संकल्पना का प्रयोग किया है।

   पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉ॰ महबूब- उल-हक ने मानव विकास का वर्णन एक ऐसे विकास के रूप में किया-
1) जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है और उनके जीवन में सुधार लाता है।यह विकल्प स्थिर नहीं है बल्कि परिवर्तनशील है। 
 2) इस अवधारणा में सभी प्रकार के विकास का केंद्र बिंदु मनुष्य है।
3) विकास का मूल उद्देश्य ऐसी दशाओं को उत्पन्न करना है जिनमें लोग सार्थक  जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
4) सार्थक जीवन केवल लंबा नहीं होता। जीवन का कोई उद्देश्य भी होना आवश्यक है।इसका तात्पर्य है कि लोग स्वस्थ हों, अपने विवेक और बुद्धि का विकास कर सकते हों, वे समाज में भागीदारी करें और अपने उद्देश्यों को पूरा करने में स्वतंत्र हो।
5) लोगों के विकल्पों में वृद्धि करने के लिए उनकी क्षमताओं का निर्माण करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि क्षमता नहीं है तो विकल्प भी सीमित हो जाते हैं।
(6) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन जीना, ज्ञान प्राप्त करना तथा एक शिष्ट जीवन जीने के पर्याप्त संसाधनों का होना मानव विकास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है।
        अतः संसाधनों तक पहुंच, स्वास्थ्य एवं शिक्षा को बढ़ावा देना मानव विकास का केंद्र बिंदु है।   

(ii) मानव विकास अवधारणा के अंतर्गत समता और सतत पोषणीयता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- किसी इमारत को जिस प्रकार स्तंभों का सहारा होता है, उसी प्रकार मानव विकास का विचार भी चार स्तंभों पर केंद्रित है जो क्रमशः समता, सतत पोषणीयता,उत्पादकता और सशक्तिकरण की संकल्पनाएं हैं। इनमें से समता तथा सतत पोषणीयता का वर्णन इस प्रकार है-

समता-  
        इसका अर्थ है कि  प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था हो। लोगों को उपलब्ध अवसर वर्ण, रंग, लिंग, जाति, आय आदि के भेदभाव के बिना समान होने चाहिए।
     यदि ऐसा नहीं होता तो लोगों के विकल्प सीमित हो जाते हैं। भारत में स्त्रियों और सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों के व्यक्ति बड़ी संख्या में विद्यालय से विरत होते हैं। इससे पता चलता है कि शिक्षा तक पहुँच न होना किस प्रकार इन वर्गों के विकल्पों को सीमित करता है।
सतत पोषणीयता- 
        मानव विकास के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिले। समस्त पर्यावरणीय, वित्तीय तथा मानव संसाधनों का उपयोग भविष्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए। 
      इन संसाधनों में से किसी का भी दुरुपयोग आने वाली पीढ़ियों के लिए अवसरों को कम करेगा। अतः सभी के लिए समान अवसरों की उपलब्धता के लिए आवश्यक है कि सतत पोषणीयता को बढ़ावा मिले।

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